Saturday 24 October 2015

ख़ुशी - The Happiness

ख़ुशी - The Happiness


वर्षों से हम एक ही चीज तलाश कर रहे हैं "ख़ुशी"। लेकिन मिल नहीं पा रही है । पूरी दुनिया खूब जोर लगा कर इसे ढूंढ रही है, पर ये ख़ुशी ना जाने कायनात के किस कोने में जा के छुप गयी है कि किसी को ढूंढे नहीं मिल रही है ।

मेरा एक मित्र किराए के घर में रहता था, उसका सपना था कि उसका अपना एक घर हो, अगर उसका अपना घर  हो जाए तो उसे दुनिया भर की खुशियाँ मिल जाए । संयोग से अपनी मेहनत, चाहत और बैंक लोन की बदौलत उसका अपना घर हो गया । आज छह महीने बाद मिला तो बैंक लोन की मासिक क़िस्त के बारे में रोना रो रहा था । "भाईजी बहुत तकलीफ है, इस से अच्छा तो किराया भरना आसान था, कम से कम इस क़िस्त से तो कम था। कभी कभी तकलीफ में मकान मालिक को दो तीन महीने का किराया तीन महीने बाद एक साथ दिया करता था । जबसे अपना मकान लिया है पैसों की तंगी रहने लग गयी है । दुखी हो गया हु भाईजी ।"
ख़ुशी - The Happiness

ऐसे ही एक मेरे कंवारे मित्र,  जिनकी उम्र करीब 30 साल हो चुकी थी पर शादी नहीं हो पा रही थी । जब भी मिलते  एक ही बात "यार कोई ढंग की लड़की से शादी हो जाए तो जीवन सफल हो जाए । घर में बीवी हो तो शाम को घर आने का भी मन करेगा । वो मेरे लिए गरमा गरम खाना बनाएगी फिर हम साथ बैठ के खाएंगे।" वगैरह वगैरह ।

उनकी शादी भी हो गयी और मात्र एक साल बाद ही पति पत्नी एक दूसरे का माथा फोड़ते नजर आ रहे थे । जहां पति को पत्नी द्वारा बनाये खाने में कोई स्वाद नहीं आ रहा था,  वहीँ पत्नी को पति संसार का सबसे नालायक व्यक्ति नजर आ रहा था ।

ऐसे ही कोई सोचता है फलां कंपनी में नोकरी मिल जाए तो जिंदगी खुशहाल हो जाये । उसे वह नोकरी बाय चांस मिल जाती है, मगर 3-4 महीने बाद उसका बयान होता है की इस से तो पहली वाली नोकरी अच्छी थी । तनख्वाह भले ही कम थी पर काम का इतना बोझ नहीं था ।
ख़ुशी - The Happiness

कोई अपना व्यवसाय शुरू करता है और कुछ ही दिनों बाद ये कहता दिखाई पड़ता है, "इस से बढ़िया तो नौकरी कर रहे थे वो ही ठीक था, कम से कम एक निश्चित रकम तो घर में आ रही थी ।"

अब सवाल ये ही कि आखिर ख़ुशी है किस चीज में । मनचाही लड़की या मनचाहे लड़के से शादी हो जाये, खुद की गाड़ी हो जाए, बेटा बेटी हो जाए, अपना मकान हो जाये या खुद का व्यापार हो जाए ।

जिसके पास ये सब कुछ है क्या वो खुश है? नहीं,  वह भी दौड़ रहा है ख़ुशी की तलाश में एक अंधी दौड़ । मगर ख़ुशी कभी नहीं मिल पाती । मिलती है, लेकिन क्षणिक होती है, स्थायी नहीं रहती । कुछ ही दिनों में जो ख़ुशी मिली है उस से मोहभंग हो जाता है, और हम फिर से निकल पड़ते है दूसरी किसी बड़ी ख़ुशी की तलाश में। जिंदगी रीत जाती है जद्दोजहद करते करते, लेकिन ये तलाश पूरी नहीं हो पाती ।

अगर सच में हम खुश होना चाहते तो हमें पता चल जाता की खुशियाँ तो बिखरी पड़ी है हमारे आसपास । नाहक ही हम उसे संसार की भौतिक वस्तुओं में ढूंढ रहे थे । मेरा परिवार,मेरे माता पिता, मेरे भाई बहन, मेरी पत्नी, मेरे बच्चे । ये सब भी तो है मेरी ख़ुशी की वजहें । ये सब भी तो मुझे ईश्वर प्रदत्त उपहार है । क्यों ना मैं इनके साथ और ये मेरे साथ खुश रहें।

सुबह का उगता सूरज देखो, पूरा गगन खुश नजर आता है । बागों में खिलती हुयी कलियाँ हमें खुशियों का सन्देश देती है । पंछियों का कलरव, झरनों का संगीत । सब के सब अनवरत खुश है, और रोज होते हैं । फिर हम क्यों नहीं ।
ख़ुशी - The Happiness

दरअसल हमने खुशियों को एक सिमित दायरे में कैद कर दिया है। उनकी एक समय सीमा तय कर दी है । अलग अलग लक्ष्य बना दिए है की जब मेरा ये फलां फलां सपना पूरा होगा तब खुश होऊंगा ।लेकिन होता ये है की जब हम एक सपना पूरा कर लेते है तब तक बीसियों और दूसरे नाना प्रकार के सपने हमारे दिलोदिमाग में घर कर चुके होते है । जिनके लिए ये उम्र छोटी पड़ जाती है और भागते भागते एक दिन हमारे कदम जवाब दे देते है, थम जाते हैं। अंत में हम मजबूर हो जाते है रुकने के लिए, थक कर बैठ जाने के लिए ।

दोस्तों, हर पल खुश रहो, हर हाल में खुश रहो । याद रहे, कल पर अपना वश नहीं चल सकता लेकिन आज हमारे हाथ में है । इस आज को भरपूर जियें । जिंदगी अनेकों वजहें देती है मुस्कुराने की, उनका आनद उठायें, उनको पकड़ के रखें ।

अंत में चलते चलते ग़ालिब साहब का एक शेर कहना चाहूंगा जो चुपके से काफी कुछ कह देता है ।

"उम्र भर ग़ालिब ये ही भूल करता रहा,
धुल चेहरे पर जमी थी आइना साफ़ करता रहा"
....शिव शर्मा की कलम से......









आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद


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