Sunday 15 November 2015

हर मर्ज की दवा हंसी - Har marj ki dawa hasi



हर मर्ज की दवा हंसी - Har marj ki dawa hasi,

चुटकुला शब्द जिसने भी बनाया उसे हजार तोपों की सलामी । जब ये शब्द बना होगा उस वक्त तो शायद शब्दकोष भी नहीं होता होगा, फिर भी उस महान विभूति ने इस शब्द को जन्म दे दिया । चुटकुला शब्द सुनकर ही गुदगुदी होने लगती है और जब कोई चुटकुले सुनाने लग जाए तो कहना ही क्या,  रह रह के ठहाके गूंजते हैं ।

मुझे भी एक चुटकुला याद आया,

""एक दोस्त दूसरे से- अरे, ये तेरे हाथ-पैर कैसे टूट गए?

दूसरा- कुछ नहीं यार, वह पड़ोस में जो चाईनीज रहता है उसकी बीवी मर गई। पिछले साल ही उनकी शादी हुई थी।

पहला- तो ????

दूसरा- तो क्या....., वह रो रहा था तो मैंने सांत्वना देते हुए कहा- "भाई दुखी मत हो।बीवी एक साल तो रही, वरऩा  चाइना के प्रोडक्ट ईतने भी कहां चलते है। फिर पता नहीं क्यूं यार, सब डेढ़ फुटियों ने मुझे बहुत धोया ।""

हा हा हा हा ..... यानि यहां चुटकुले की खासियत देखिये, किसी भी विषय पर बनाया जा सकता है चाहे बेचारे किसी चाइनीज की बीवी परलोक ही क्यों ना सिधार गयी हो ।


हर मर्ज की दवा हंसी


आपने भी कई चुटकुले सुने और सुनाये होंगे । किसी चुटकुले पर तो कई कई दिनों तक हंसी आती रहती है । जैसे ही वो चुटकुला याद आता है हम बैठे बैठे ही अकेले ही हंसने लगते हैं । ऑफिस के बाकि स्टाफ जब हमें बावरा समझकर मुस्कुराते है तब हम झेंप जाते है और अपनी झेंप मिटाने की खातिर वो चुटकुला उन सबको भी परोस देते हैं । फिर हमें शांति मिल जाती है और अकेले हंसने की वो बीमारी बाकी स्टाफ को ।

कुछ लोगों का तो बात करने का अंदाज ही ऐसा होता है जैसे वो कोई चुटकुला ही सुना रहें हो । उनके पास हाजिरजवाबी का भी हुनर होता है । ऐसे लोग ख़ुशी के मौकों की महफ़िलों में बहुत जल्दी लोकप्रिय हो जाते हैं ।

ऐसे ही हमारे एक मित्र थे के पी जी । एक दिन एक कार्यक्रम में मधुमेह की बात चल पड़ी । सब लोग मधुमेह पर अपना अपना ज्ञान दे रहे थे जैसे अगर वो ना बताते तो किसी को मधुमेह क्या है ये पता ही नहीं चल पाता ।

तभी हमारे के पी जी आ गए, और उन्होंने मधुमेह का जो कारण और निवारण चुटकुले के द्वारा बताया, सुनकर सब हँसते ही रह गए । के पी जी ने चुटकुला सुनाया कि कैसे खुद को और अपने जीवन साथी को मधुमेह से बचाये ।


हर मर्ज की दवा हंसी


"सिर्फ 28 वर्षीय एक विवाहित जोड़े ने जब अपने खून की जाँच कराई तो जांच के परिणाम में उनके खून में शक्कर आ गयी, यानि मधुमेह ।

जब इस बात की वजह तलाश की गयी तो पता चला कि उनको ये बीमारी एक दूसरे को स्वीटी, रसमलाई, चोकोपी, स्वीटहार्ट, हनी, लड्डू आदि नामो से पुकारने के कारण हुई, यानी हर सम्बोधन में मिठाई । शुगर तो आनी ही थी ।

इस से बचने का उपाय बहुत सरल और बिना खर्च वाला है, बस अपने जीवनसाथी को मिर्ची, करेला, हींग,  लहसून, काली मिर्च, वड़ा पाव, प्याज कचोरी, अदरक, मूली आदि नामों से पुकारना शुरू कीजिये और उसको मधुमेह से बचाइये ।"

चुटकुलों की नाना प्रकार की किस्में पायी जाती है । माहौल अनुसार चुटकुलों का स्वरुप बदलता जाता है । जैसे कवी सम्मेलनों में अधिकतर नेताओं और उसके बाद पति पत्नी के विषय को ज्यादा पसंद किया जाता है । वहीं परिवार के सदस्य या कुछ दोस्त एक साथ बैठे हों तो उपरोक्त विषयों के अलावा मम्मियों पर, मास्टरजी पर, धूम्रपान और शराब जैसे विषयों पर भी चुटकुले आते रहते हैं । जिनमे छोटी और बड़ी सभी तरह की नस्लों के चुटकुले पाये जाते हैं।


हर मर्ज की दवा हंसी


जब हम सफ़र कर रहे होतें हैं, तो आपने भी अनुभव किया होगा, कि समय व्यतीत करने का और हंसने हंसाने का सबसे अच्छा साधन होते हैं चुटकुले । कोई एक सुनाता है तब तक किसी दूसरे को उसी विषय पर दूसरा चुटकुला याद आ जाता है, और फिर एक दौर चल पड़ता है गाड़ी के पुरे डब्बे में ।

मुझे एक बार किसी ने ट्रेन में ही एक चुटकुला सुनाया था । मुम्बई से जयपुर जाने वाली ट्रेन पहले ही काफी देरी से चल रही थी उसके बावजूद भी जगह जगह सिग्नल ना होने की वजह से रुक रही थी । शायद इसी वजह से उन्हें वो चुटकुला याद आया होगा । कि :


"एक रुट पर एक पैसेंजर मेल बहुत धीमे चला करती थी और कहीं भी खड़ी हो जाती, उस गाड़ी के बारे में प्रसिद्द हो गया था कि अगर अपने गंतव्य तक जल्दी पहुंचना है तो इस गाड़ी से जाने की बजाय पैदल निकल लो, जल्दी पहुँच जाओगे ।

एक दिन ऐसे ही वो गाड़ी जब काफी देर से एक जगह खड़ी रही तो एक यात्री गाड़ी के ड्राईवर के पास गया और पूछा "ड्राईवर साहब, अगर गाड़ी चलने में वक्त लगे तो मैं पास वाले बगीचे से फूल तोड़ लाऊं"

ड्राईवर ने कहा "हां जाओ, लेकिन अभी तो फूलों का मौसम तो है ही नहीं, तुम्हे फूल कहां मिलेंगे?"

उस यात्री ने कहा "गाड़ी चलते चलते मौसम भी आ जायेगा साहब, फूलों के पौधे भी उग जाएंगे और उन पर फूल भी आ जायेंगे, मेरे पास बीज है।""

यानि वो बीज बो कर पौधा उगने के बाद फूल तोड़ेंगे तब तक तो वो गाड़ी वहां से हिलेगी नहीं ।
इस प्रकार के कटाक्ष वाले चुटकुलों का भी अपना एक संसार है । जिनमें मजाक मजाक में सम्बंधित वर्ग को घायल कर देने की शक्ति होती है । और आज के सोशल मीडिया के दौर में तो कोई चुटकुला आता है और किसी फ़िल्मी सितारे की तरह रातों रात पूरी दुनिया पर छा जाता है ।


हर मर्ज की दवा हंसी


इसी तरह यदि किसी को कोई बीमारी हो गयी हो या दुर्भाग्यवश कोई अगर हस्पताल में भर्ती है तो एक मस्त सा चुटकुला उसके लिए मलेरिया में कुनैन जैसा काम करता है । कहते हैं ना हंसी बहुत सी बिमारियों की रामबाण दवा होती है । खुश रहने और खुल कर हंसने से कई तरह की बीमारियां तो नजदीक भी नहीं आती ।

तो आप भी फिर क्या सोच रहे हैं । याद कीजिये कोई पुराना चुटकुला और उसे किसी को सुनाकर उन्हें भी हंसाइए और खुद भी हंसिए । आखिर हंसी हर मर्ज की दवा है । कोई एक आध चुटकुले रूपी कैप्सूल मुझे भी खिला देना ।

Click here to read Sri Shiv Sharma's experience मेरी पहली कर्मभूमि - My First Working Place, Guwahati

जय हिन्द

...शिव शर्मा की कलम से...







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धन्यवाद

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