Sunday 12 June 2016

Prem Rog

प्रेमरोग

नमस्कार मित्रों । आज एक हल्कीफुल्कि ग़ज़ल ले कर आया हुं, एक सुखद अंत वाली प्रेम कहानी पर आधारित। उम्मीद करता हुं आप इसे पसंद करेंगे और अपना स्नेहाशीष प्रदान करेंगे ।

प्रेमरोग
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पहली नज़र में दिल खो बैठे
प्रेम दीवाने हो गए,
उनकी मुस्कान की शमा जली
और हम परवाने हो गए,

खाते पीते उठते बैठते
चेहरा वही नजर आये,
एक दिन उनको ना देखें
युं लगे जमाने हो गए,

रात रात भर जगते रहते
नींद उड़ गयी आँखों से,
आज से पहले जो देखे
वो ख्वाब पुराने हो गए,

उनके ख्यालों में गुमसुम
फिरते रहते थे सड़कों पर,
गलियों की मिट्टी से भी
अपने याराने हो गए,

खोये खोये से रहते थे
हर पल उनकी यादों में,
दिल में हजारों हसरतों के
कई खजाने हो गए,


ध्यान काम से हटने लगा
खाना पीना भी भूल गए,
प्रेमरोग ने जो जकड़ा
खुद से बेगाने हो गए,

आँखों आँखों से अक्सर
हम बातें भी कर लेते थे,
मन ही मन में प्रेम के
कितने तानेबाने हो गए,

एक दिन हिम्मत करके उनसे
दिल की बातें कह डाली,
उनके मीठे बोल
हमारे लिए तराने हो गए,

मेहरबान थी किस्मत हम पर
चाहा जिन्हें वो हमें मिले,
ख्वाब हकीकत बने
हमारे दिन सुहाने हो गए ।।

जय हिन्द

*शिव शर्मा की कलम से***







आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद




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