Friday 23 March 2018

Home Loan - Part II

गृह ऋण भाग 2


भाग 1 में आपने पढ़ा कि कैसे कुछ निजी संस्था और राष्ट्रीयकृत बैंक ने मेरा ऋण अस्वीकृत कर दिया था । वो तो भला हो उस महान आत्मा का जिसने मुझे कोऑपरेटिव बैंक का रास्ता सुझाया और मैंने उस और रुख कर लिया था ।

कोऑपरेटिव बैंक के मैनेजर ने जब मुझे आश्वस्त किया कि उनकी बैंक मुझे लोन दे देगी, तो मेरी आशाओं का सूरज एक बार फिर प्रकाशवान हो उठा । मैं जब वहां से निकला तो काफी खुश था कि चलो अब तो लोन वाला काम हो जाएगा ।

घर आकर जब पत्नी और बच्चों को मैंने सब बात बताई तो उनके चेहरों पर भी थोड़ी सी रौनक आ गई । क्योंकि पिछले बैंकों के जवाबों से हताशा तो उन्हें भी हो गई थी ।

मैनेजर ने मुझे आते वक्त नया खाता खोलने और लोन के लिए जरूरी फॉर्म भी भर के लाने के लिए दे दिए थे ।

फिर मैनें बैठकर दोनों फॉर्म ध्यान से देख पढ़कर भरे और साथ ही हम सबने विचार विमर्श किया कि फॉर्म में दी गई हिदायतों, जरुरतों को कैसे पूरा करना है, जैसे गारंटर से दस्तखत लेना, उनके रिटर्न्स की कॉपी, फोटो इत्यादि । अन्य जरूरी कागजातों का पुलंदा तो चौबीसों घंटे तैयार ही था ।

अगले दिन सबसे पहले बैंक में जाकर नए खाते खुलवाए । आधे से ज्यादा दिन इसी में लग गया था, जो गारंटर हमने निश्चित किये थे वे भी अपने अपने दफ्तर चले गए थे ।

आजकल मोबाइल का जमाना है सो उनसे फ़ोन पर बात करके अगले दिन सुबह का मिलने का समय ले लिया और अगले दिन सुबह सुबह ही दोनों के घर जा कर वो काम भी कर लिया ।

पत्नी और बच्चे भी अपना अपना सहयोग दे रहे थे । दस बजे तक हमने उन सभी कागजातों की एक फ़ाइल बनाकर तैयार कर ली और पुनः एक नजर उन कागजातों पर डालकर मैं बैंक पहुंचा, और फ़ाइल मैनेजर को सौंप दी ।

मैनेजर साहब ने अपना चश्मा दुरुस्त करते हुए पारखी नजरों से सभी कागजातों का निरीक्षण किया और एक कमी निकाल ही दी, कि गारंटर के जो फॉर्म हमने साइन करवाये हैं, वे फॉर्म नहीं चलेंगे, बल्कि उसके लिए अन्य दो फॉर्म है जो भर के देने होंगे । नए फॉर्म मैनेजर साहब ने अपनी दराज से निकाल कर मुझे थमा दिए और व्यवहारसुलभ मुस्कान के साथ कहा कि ये फॉर्म साइन करवा के ला देना ।

'मरता क्या नहीं करता'..... मैनें वे फॉर्म ले लिए और अगले दिन लाने को कहकर वहां से चलने को हुआ तो मैनेजर ने बताया कि कल तो चौथे शनिवार की छुट्टी है और परसों रविवार, सो आप सोमवार को आ जाना या फिर फ्लैट के रजिस्टर्ड कागज लाओ तब ले आना, फिर मैं जल्दी से जल्दी आपका लोन पास करवाता हुं ।

उनको अंग्रेजी में 'थैंक यू' कहकर मैं वहां से निकला और सीधा पहुंच गया एक फ्लैट देखने । एक एस्टेट एजेंट ने फोन करके वहां बुलाया था ।

घर भी शीघ्रतिशीघ्र पसंद करना था क्योंकि मैनेजर ने कहा था कि घर के कागज रजिस्ट्री करवा कर बैंक में देने हैं तभी लोन का काम होगा ।

इसीलिए मैनें घर पर फ़ोन करके बता दिया और बैंक से सीधे उस एस्टेट एजेंट के पास पहुंच गया जो मुझे एक घर दिखाने ले आया ।

युं तो अब तक हम छत्तीसों घर देख चुके थे, सब में कुछ ना कुछ उन्नीस बीस हो जाता था । कहीं मोहल्ला नहीं जमता था, तो कहीं रकम हमारे बजट से बाहर होती थी ।

परन्तु ये घर लगभग हमारी जरूरत के हिसाब का था । बजट में भी था और उस इमारत में रहने वाले अन्य रहिवासी भी हमारे अनुसार थे । पत्नी और बच्चों को भी वो घर दिखाया तो उन्हें भी पसंद आ गया ।

जब सबको जच गया तो फिर क्यों देर करें सो विचार विमर्श करके उस घर के वर्तमान मालिक, एस्टेट एजेंट और हमने बैठकर घर की कीमत और अन्य बातें तय कर ली ।

अगले एक सप्ताह में लिखापढ़ी करके, बैंक लोन के अलावा जो भुगतान बनता था वो मैनें उनको कर दिया और रजिस्ट्रार दफ्तर में जा कर फ्लैट का हमारे (मेरे और पत्नी के) नाम से रेजिस्ट्रेशन भी करवा लिया । इस बीच गारंटर के नए फॉर्म भी साइन करवा लिए थे ।

अगले दिन खुशी खुशी सारे कागजात ले कर बैंक जाकर बैंक मैनेजर को सभी डाक्यूमेंट्स दिए ।

उन्होंने उनका निरीक्षण करते हुए मुझसे पूछा कि आप नाइजीरिया वापस कब जा रहे हैं ।

मैनें कहा 'सर मैनें आपको बताया था न कि अगली 2 तारीख तक मैनें अपनी छुट्टी बढ़वाई है, अभी 17 दिन बचे हैं ।'

फिर विनय करने के अंदाज में मुस्कुराते हुए मैनें उनसे पूछा कि तब तक तो आप मेरा लोन स्वीकृत करवा ही देंगे ना, ताकि मैं निश्चिंत हो कर वापस जा सकूं ।

उन्होंने मुझे आश्वस्त किया मगर साथ ही एक और काम बोल दिया कि हां हो जाएगा, लेकिन आप एक पावर ऑफ अटॉर्नी बना लीजिए अपनी पत्नी के नाम से ताकि आपके विदेश चले जाने के बाद यदि कहीं किसी हस्ताक्षर की आवश्यकता हो तो वे कर सके ।

मैनें फिर वही सोचा कि चलो जहां इतने दिए वहां एक और पेपर सही । इस काम में और चार पांच दिन निकल गए थे । मेरी यात्रा की तिथि भी नजदीक आती जा रही थी ।



पावर ऑफ अटॉर्नी ले कर मैं बैंक पहुंचा और मैनेजर साब को उसकी एक प्रतिलिपि सौंप दी, और पूछा कि सर अभी तो मेरे खयाल से सभी कागजात आ गए हैं, जल्दी से मेरा काम करवाइए ना । सामने क्रिसमस की छुट्टियां भी आ रही है उस से पहले पहले स्वीकृति पत्र मिल जाये तो चैन आ जाये सर ।

हमेशा की तरह इस बार भी उन्होंने आश्वाशन देते हुए कहा कि चिंता मत कीजिये, आपका काम हो जाएगा । फिर उन्होंने बताया कि मेरी फ़ाइल उन्होंने अपने मातहत को सौंप दी है और अब मैं उस के ही संपर्क में रहूं ।

मैनें भी सोचा शुभ काम में देरी क्यों, इसलिए तुरंत जाकर उस अफसर से मिला जिसके पास मेरी फ़ाइल मैनेजर ने दी थी ।

औपचारिक दुआ सलाम के बाद मैनें जैसे ही उसे अपना नाम और काम बताया तो उसने ऐसे रियेक्ट किया जैसे वो ये ही कहने के लिए ही मेरा इंतजार कर रहा था ।

'अरे अच्छा हुआ आप आ गए, नहीं तो मैं आपको फोन करने वाला था । आपकी फ़ाइल मैनें देख ली है, आप एक काम कीजिये, एक तो हमारे वैल्यूअर से घर की वैल्यूएशन करवाइए और एक सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट, ये दो रिपोर्ट और दे दीजिए, फिर मैं आपकी फ़ाइल हमारे मुख्य कार्यालय में भेजता हुं ।'

फिर वही "मरता क्या न करता" वाली ही बात । ये दोनों काम भी मैनें करवाये ।

एक रिपोर्ट तो मेरी उपस्तिथि में ही आ गई, लेकिन दूसरी रिपोर्ट में और दो तीन दिन लगने थे । मेरी अगले दिन की टिकट थी सो उस दिन बैंक जा कर मैनेजर और उस अफसर से मिल कर आया । दोनों ने मुझे निश्चिंत हो कर जाने को कहा । परन्तु निश्चिंत तो काम होने पर ही हुआ जा सकता है, ये उन्हें  कैसे समझाता ।

मैं निश्चित दिन की उड़ान से वापस नाइजीरिया आ गया । जैसे मुझे लगा था कि अब तो जल्दी ही चेक मिल जाएगा वैसे ही आपको भी लग रहा होगा कि 'इतने सारे' कागजात देने के बाद तो मेरा ऋण 10-12 दिन में हो ही गया होगा ।

जी नहीं..... इसके बाद भी कई दिन तक तो कभी ये पेपर कभी वो रिपोर्ट, कभी गारंटर के साईन, कभी बीच बीच में बैंक की छुट्टी इत्यादि चलते रहे । मैं खुद, पत्नी और बच्चे उम्मीद और मिन्नतें कर कर के थक से गए थे ।

पर कहते हैं ना कि 'अंत भला तो सब भला', बैंक के अनुसार आठ कार्य दिवस में होने वाला काम भले ही ढाई महीने में हुआ, लेकिन अंत में हुआ । ये अलग बात है कि बैंक ने उस फ्लैट का एक और जरूरी रजिस्ट्रेशन करवाया था ।

वैसे हम सब थक से गये थे, झुंझलाहट को अंदर ही अंदर दबा रहे थे, एक दो बार तो मन में हुआ कि ये घर खरीदने का विचार कुछ समय के लिए और टाल दें....।

परंतु अंत में जब चेक हाथ में आया, तो सारी थकान उतर गई, सारी झुंझलाहट छू मंतर हो गई । भले ही कर्ज मिला था, लेकिन ये कर्ज भला था । एक अपने घर का सपना जो पूरा हो गया था ।

*******

जल्दी ही फिर मिलते हैं दोस्तों एक नई रचना के साथ । तब तक के लिए विदा मित्रों ।

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जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*











आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद



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Thursday 15 March 2018

Home Loan - Part 1


गृह ऋण भाग 1


नमस्कार दोस्तों । आज मैं आपके साथ ऐसी बात पर चर्चा करूँगा जिससे आप भी कभी ना कभी रूबरू हुए ही होंगे । गृह ऋण यानि होम लोन ।

आज के दौर में जब आम आदमी की जरूरतें काफी बढ़ गई है तब किसी शहर में अपना एक घर लेना काफी मशक्कत वाला काम है ।

एक मध्यम वर्गीय आदमी थोड़ी थोड़ी बचत करके भी इतना नहीं बचा पाता कि पूरी रकम एक साथ अदा करके अपने सपनों का एक छोटा सा घर ले सके । तब उसे किसी बैंक या संस्था से गृह ऋण लेने को मजबूर होना पड़ता है । जैसे तैसे ऋण मिलता भी है लेकिन उसके लिए उसे बहुत पापड़ बेलने पड़ जाते हैं ।

कुछ किस्मत के धनी व्यक्तियों का ऋण कम भागदौड़ में ही हो जाता है, परंतु कई लोगों को बहुत ठोकरें भी खानी पड़ जाती है । जैसे मैनें खाई ।

हालांकि मैनें इस ऋण के लिए बहुत सी जगह अपनी अर्जी लगाई थी और सब जगह से अलग अलग कारण बता कर मुझे सिर्फ "सॉरी सर" कह दिया गया था ।

अगर सभी दास्तानें लिखूंगा तो शायद एक किताब बन जाये, अतः इस आपबीती को "कुछ कम" शब्दों में समेटने के लिए मैं यहां सिर्फ एक राष्ट्रीयकृत बैंक और एक निजी संस्था के साथ जो मेरी बातचीत हुई उसका ही जिक्र करुंगा । चूंकि ये वार्तालाप भी कुछ लंबा हो जाएगा पर मैं जानता हूं कि आप इसे जरूर पढ़ेंगे ।

गृह ऋण
Home Loan

टन न न न टन टन न न न टन...... मोबाइल की घंटी बजी तो मैंने देखा कोई नया ही नंबर था । फोन तो उठाना ही था, पता नहीं किसका हो । मेरे हेलो बोलते ही एक मधुर सी आवाज मेरे कानों में पड़ी ।

"हेलो सर्.... मैं फलाना ढिमका बैंक से बोल रही हूं, क्या आपको निजी जरूरत या घर के लिए लोन चाहिए सर.... ? हमारी बैंक बहुत ही कम कागजात और आसान शर्तों पर लोन देती है सर.... ।"

बड़े शहर या महानगरों में घर लेने के लिए प्रायः सभी को बैंक लोन की जरूरत पड़ती ही है, चाहे वो कोई व्यापारी हो या फिर कोई नोकरिपेशा ।

मैं भी इन छुट्टियों में घर लेने का मन बना कर आया था और जाहिर है कि उसके लिए मुझे लोन की भी जरूरत थी ।

मुझे अभी वापस आये दो ही दिन हुए थे और इन दो दिनों में घर पर हम इसी बात की चर्चा करते थे कि घर लेने के लिए जरूरी रकम का इंतज़ाम कैसे होगा । उसमें किसी बैंक से लोन लेना भी शामिल था ।

इस फोन ने तो मेरी उम्मीदों को पंख लगा दिए, मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई थी ।

उस वक्त मैं अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली आदमी समझने लगा था । क्योंकि एक तो बैंक वाले खुद मुझे फोन कर रहे थे, मुझे कहीं जाना भी नहीं पड़ा और साथ ही वे इतनी सारी इज्जत जो दे कर बात कर रहे थे ।

"जी हां, चाहिए तो सही ।" मैनें कहा ।

"हां तो सर जरूर मिलेगा । ये बताइए कि आप क्या काम करते हैं । व्यापार या फिर कोई नोकरी ?" उसका अगला सवाल आया ।

"जी मैं विदेश में नोकरी करता हूं ।"

"अच्छा आप एन आर आई है सर ! फिर तो और भी अच्छी बात है । हमारी बैंक एन आर आई को और भी आसानी से लोन देती है । वैसे सर आप किस देश में क्या काम करते हैं, और आपकी भारतीय रुपयों में सैलरी कितनी होगी सर..... ।"

फिर एक सवाल आया तो मैंने कहा "नौकरी मैं नाइजीरिया में करता हुं । परंतु क्या आप ये सब चीज फोन पर ही पता करते हैं ? अब हर बात फोन पर नहीं बताई जा सकती ना मैडम ।

आपकी बैंक को लोन देने के लिए मुझसे जो जो कागजात और सूचनाएं चाहिये, वो बता दीजिये, उनमें आपको सब विवरण मिल जाएंगे जो आप पूछ रही हैं । उसके बाद भी अगर कुछ सवाल हो तो पूछ लीजिएगा ।"

मेरे ऐसा कहते ही वो क्षमा सर कहते हुए उसी मधुर स्वर में फिर शुरू हो गई ।

"जी सर, जैसा कि मैंने आपको बताया, हमारी बैंक बहुत ही कम औपचारिकताएं और आसान शर्तों पर लोन देती है, बस कुछ कागजात आप दे दीजिए और 2 से 3 सप्ताह में आपका लोन स्वीकृत हो जाएगा ।"

"जी हां बताइए, आपको क्या क्या पेपर चाहिए, मैं सब व्यवस्थित कर के दे दूंगा ।" मुझे लगा कि कोई 5-7 पेपर्स मांगेगी ।





"जी सर, क्या आप अभी लिख लेंगे या मैं आपको जरूरी कागजात की सूची मेल कर दूं ।"

मैनें भी लिखने की जहमत से बचने के लिए मेल करने को ही कह दिया और उसे अपनी ई मेल आई डी बता दी ।

"ठीक है सर, हम आपको जो डाक्यूमेंट्स चाहिए उसकी सूची मेल कर देंगे"

कहने के साथ ही उसने हिदायत भी दी कि मैं यथाशिघ्र सब कागज तैयार करके उन्हें सौंप दुं, ताकि मेरा लोन भी जल्दी से जल्दी पास हो जाए ।

अगले दिन वापस फोन करने का कहकर उसने फोन काट दिया ।

अब लोन चूंकि मेरी भी जरूरत थी अतः मैनें भी उसे आश्वस्त किया कि मैं जल्दी से जल्दी पेपर्स का सेट बना लूंगा । और उसे क्या, सच पूछें तो मैनें खुद को ही इसके लिए आश्वस्त और तैयार किया था ।

अगले दस मिनट में ही लोन के लिए जरूरी कागजातों (बैंक वाली मोहतरमा के अनुसार बहुत ही कम) की सूची मेरी मेल पर आ गई । मैं तो पढ़ते पढ़ते ही चकरा गया ।

1. पैन कार्ड की कॉपी
2. आधार कार्ड की कॉपी
3. पासपोर्ट की कॉपी
4. वीजा की कॉपी
5. एक साल का बैंक स्टेटमेंट (बैंक की रबर स्टाम्प लगा कर)
6. सैलरी स्लिप या सर्टिफिकेट
7. वर्तमान पते का कोई भी एड्रेस प्रूफ (बिजली, फोन का बिल या किराए के घर का एग्रीमेंट)
8. उपरोक्त अनुसार वर्तमान कम्पनी का भी एड्रेस प्रूफ
9. दो पासपोर्ट साइज फ़ोटो
10. अपॉइंटमेंट लेटर
11. कंपनी के एच आर की ईमेल आई डी और कांटेक्ट पर्सन
12. वहां की बैंक का पिछले छह महीने का स्टेटमेंट
13. हमारे फॉरमेट में पावर ऑफ अटॉर्नी
14. प्रोसेसिंग फीस का 3000/- का चेक (चाहे लोन हो या न हो, फीस तो लगेगी)

ये लिस्ट देखकर मैं तो आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि वो देवी तो कह रही थी "बहुत ही कम डॉक्यूमेंट", अब अगर ये कम हैं तो फिर ज्यादा कितने होते होंगे । वैसे मुझे पता था कि राष्ट्रीय कृत बैंक काफी पेपर्स मांगते हैं.... पर इतने....... !!!!

खैर मैनें ये सब पेपर जमा करके दो दिन बाद उनको दिए । उनका अगले दिन फोन भी आया था परंतु मैनें उनसे एक दिन का समय और मांगा था ।

पेपर्स देने के बाद मुझे लगने लगा कि बस..... अब तो 15-20 दिनों में मेरा लोन पास हो ही जाएगा, और उस मोहतरमा के कहे अनुसार घर की कीमत का 80 से 90 प्रतिशत लोन मुझे मिल जाएगा तो मैं लोन की स्वीकृत राशि के हिसाब से अपना छोटा बड़ा एक घर ले पाऊंगा ।

लोन की उम्मीद जगते ही मैनें अपनी जरूरतानुसार घर ढूंढना शुरू कर दिया । घर कम से कम कितना बड़ा हो ये परिवार के साथ बैठ कर हमने तय कर लिया था ।

अगले ही दिन उसी मैडम का फोन फिर आया ।

"सर, आपके डाक्यूमेंट्स हमने देखे, इनके आधार पर आपको अच्छा खासा लोन मिल जाएगा । परन्तु सर......."

परंतु...... परन्तु क्या....?

ये परन्तु सुनते ही मेरे दिमाग में थोड़ी उथल पुथल हुई कि पता नहीं क्या गड़बड़ है ।

"....परंतु सर आपके बैंक खाते में बाहर से जो पैसे आते हैं उसकी पिछली तीन या चार रेमिटेंस हमें आप और दे दीजिए तो आपके लोन का काम आगे बढ़े ।"

पूरी बात सुनकर झुंझलाहट तो हुई पर साथ ही तस्सल्ली भी की चलो अब ये एक पेपर और देने पर मेरा लोन स्वीकृत हो जाएगा । थोड़ी खीझ तो हुई पर लोन चाहिए था अतः इसके लिए भी मैनें हामी भर ली ।

किंतु इस दौरान और 4-5 दिन निकल गए उन रेमिटेंस के आते आते । क्योंकि पुरानी रेमिटेंस जो चाहिए थी ।

उनका बंदा आ कर वो रेमिटेंस की कॉपी भी ले गया । उस मोहतरमा को मैनें फोन करके जल्दी से जल्दी लोन पास करवाने का अनुरोध किया । क्योंकि मैंने कुछ घर देखे थे उनमें से 2-3 हमें पसंद आ गए थे । कौनसा लें ये लोन की राशि पर आधारित था ।

अगले दो दिन कोई फोन नहीं आया और न ही मैनें किया । उसके बाद दो दिन की बैंक की छुट्टी आ गयी । पांचवें दिन उसी देवी का फोन आया तो एकबारगी मैं खुश हो गया कि शायद कोई अच्छी खबर सुनने को मिलेगी । किंतु उस फोन ने तो मेरी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया ।

"सर हमने आपकी फ़ाइल हमारे उच्च कार्यालय में भेजी थी लेकिन चूंकि आपकी सैलरी चार महीने में आती है इस वजह से हमारी बैंक आपको लोन नहीं दे सकती । क्षमा कीजियेगा सर ।"

मैं मन मसोस कर रह गया । और कर भी क्या सकता था । मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की कि हमारी कंपनी हर चार महीने से ही सैलरी देती है जो मेरे बैंक स्टेटमेंट में आप देख लीजिए । किंतु उसने दो ही शब्द कहे.... "सॉरी सर ।"

मैं निराशा के सागर में डूब रहा था कि ठीक एक घंटे बाद फिर एक नए नम्बर से आये फ़ोन ने नई आशा का संचार किया ।





उसने भी लगभग वही बात बोली जो उस मोहतरमा ने बोली थी । बस फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार फ़ोन करने वाला पुरुष था, नारी नहीं ।

"हेलो सर्, मैं "अबस गृह ऋण कंपनी" से राहुल बोल रहा हूं, आपको घर के लिए लोन चाहिए क्या सर ? हमारी प्राइवेट कंपनी है सर जो बहुत ही कम कागजात और आसान शर्तों पर जरुरतमंदों लोन देती है  ।"

"भाईसाहब लोन तो चाहिए लेकिन पहले ही आपको बता दूं कि मैं अफ्रीका के देश नाइजीरिया में नौकरी करता हुं जहां हमारी पगार चार महीने की एक साथ हमारी बैंक में आती है ।" मैनें साफ कह दिया ताकि बाद में कम से कम इस वजह से कोई अड़चन ना आये लोन में ।

कोई तकलीफ नहीं है सर अगर आपको सैलरी चार महीने में एक मुश्त मिलती है तो । हम उसी हिसाब से देख लेंगे सर । तो सर क्या मैं आपको बता दूं कि हमें क्या क्या डाक्यूमेंट्स चाहिए ?"

फिर उसने भी उन्हीं "कम कागजातों" की सूची बताई जो पहले फलाना ढिमका बैंक वाली देवी ने बताई थी । मेरे पास तो सब डॉक्यूमेंट तैयार थे, क्योंकि मैनें सब पेपर्स की 2-2 फ़ोटो कॉपी करवा ली थी, सो उसके पूछने पर मैनें कह दिया कि कभी भी आप अपने व्यक्ति को भेज दीजिये ।

उसी दिन शाम को उनका एक लड़का आ कर सारे पेपर्स ले गया और मैं एक बार फिर इस "आसान लोन" के खाबों के आनंद में खो गया ।

तीन चार दिन जब वहां से कोई फ़ोन नहीं आया तो मैं थोड़ा चिंतित हुआ कि क्या मेरा लोन स्वीकृत होगा या नहीं । परंतु छठे दिन फोन आ गया । नतीजा वही कि लोन नहीं हो पायेगा । परंतु इस बार कारण दूसरा बताया गया ।

"सर हमने आपकी फ़ाइल हेड ऑफिस भेजी ।"

उसने भी पूर्व वाली बैंक की उस लड़की वाली लाइन ही दोहराई । शायद ये लोन के बारे में बात करने वाले एक ही स्कूल में पढ़ते होंगे ।

"हेड ऑफिस से आपत्ति आई है सर की क्योंकि आप नाइजीरिया में जॉब करते हैं और नाइजीरिया वालों को हमारी कम्पनी लोन नहीं देती । अतः क्षमा करें सर ।"

"अरे लेकिन मेरे साथ ही काम करने वाले कुछ सहकर्मियों ने अभी हाल ही मैं लोन लिया है, उनका कैसे हो गया ?" मैनें आश्चर्य और थोड़ी झुंझलाहट से उस से पूछा ।

उसने जो कहा वो मुझे पसंद आने वाला जवाब तो नहीं था मगर एक रास्ता उसने जरूर दिखा दिया ।

"वो हमें नहीं पता सर, लेकिन हमारी कम्पनी नाइजीरिया में जॉब करने वालों को लोन नहीं देती । हो सकता है आपके सहकर्मियों ने किसी को ऑपरेटिव बैंक से लोन लिया हो । धन्यवाद सर । आपका दिन शुभ हो ।"

मेरा दिल तो हुआ कि उसे कह दूं कि दिन तो शुभ तुमने रहने कहां दिया । फिर सोचा कि बहस से क्या फायदा । वो भी तो बेचारा अपनी ड्यूटी ही कर रहा है ।

लेकिन तभी वापस ध्यान आया कि वो को ऑपरेटिव बैंक के बारे में बता रहा था कि मेरे सहकर्मियों को वहां से लोन मिला हो सकता है । मैनें भी तुरंत अपने एक परिचित, जिसकी एक को ऑपरेटिव बैंक में अच्छी जान पहचान थी, को फोन लगाया और उसे सारी बात बताई । उसने मुझे घंटे भर में उसी बैंक के पास मिलने को कहा ।

लगभग सवा घंटे बाद हम दोनों बैंक के मैनेजर के पास थे । मैनेजर ने मेरी फ़ाइल देखी, कुछ बातें पूछी और उस आधार पर कहा कि आपको लोन हम दे देंगे । उसके लिए सबसे पहले आप हमारी बैंक में अपना खाता खुलवाईये और आप घर फाइनल करके उसके कागजात ले आइये । हम आपकी सैलरी के आधार पर लोन दे देंगे ।

मैं जब वहां से निकला तो काफी खुश था कि अब लोन वाला काम हो जाएगा, परन्तु इसके बाद भी जो कुछ हुआ वो भी कम नहीं था । लेकिन चूंकि आपबीती कुछ ज्यादा ही लंबी हो रही है सो वो मैं आपको इसी ब्लॉग के भाग दो में बताऊंगा । तब तक के लिए विदा मित्रों ।

Click here to read "बाबुल का घर"  a beautiful story by Sri Shiv Sharma


जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*









आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

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